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कर्ता नाम:
विठ्ठलपुंडरीक
लेखनवर्ष:
1887
स्थिति:
जीर्ण
लिपिकार :
लिपिकार ब्राह्मण रामचंद्र
प्रकाशन स्थिति:
नहीं
ग्रंथाग्र:
गाथा 125
परिमाण चौड़ाई:
21.4
परिमाण लम्बाई:
12.3
कुल दृश्य:
294
