पुस्तकालय के बारे में

इस संस्थान के पुस्तकालय की स्थापना मुनिश्री पुण्यविजयजी महाराज ने की थी, जिन्होंने 10,000 दुर्लभ पुस्तकें और 2000 मुद्रित पोथी भेंट की थी। यह समृद्ध प्रारंभिक संग्रह इतिहास, धर्म, दर्शन, संस्कृति, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, ज्योतिष, खगोल विज्ञान, आयुर्वेद, कला, वास्तुकला, भाषा और साहित्य आदि के विषयों से संबंधित है। पुस्तकालय में विभिन्न भंडारों (पाटन, लिम्बाड़ी पूना, बड़ौदा, खंभात, कोबा, मद्रास, जयपुर आदि) के केटलॉग संकलित है । 

वर्तमान पुस्तकालय में 60,000 पुस्तकें और शोध पत्रिकाओं के 8000 खंड हैं। पुस्तकालय में जैन, बौद्ध, हिंदू (वेद, पुराण, संहिता, रामायण, भगवद गीता, महाभारत), कला, वास्तु, और दर्शनशास्त्र के विषयों के प्रमुख ग्रन्थ संकलित है ।

इस पुस्तकालय का संग्रह मुख्य रूप से गुजराती, हिंदी, संस्कृत, पाली, प्राकृत, तमिल, बंगाली और मराठी भाषाओं में है । संग्रह में फ्रेंच, जर्मन, जापानी, फारसी और अंग्रेजी में पुस्तकें भी शामिल हैं।

पुस्तकालय इन्डोलॉजी विषय से संबंधित विषयों पर एवं संशोधनों पर जोर देता है। इस क्षमता में, पुस्तकालय का संग्रह भारत के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विद्वानों और छात्रों को भी आकर्षित करता है।

वाचनालय

आगतुकों और पाठकों के लिए पुस्तकालय प्रारंभिक सुविधाओं के साथ उपलब्ध है। जिसका पुस्तकालय के समय के दौरान लाभ उठाया जा सकता है ।

ओपेक कैटलॉग

ओपेक कैटलॉग उपयोगकर्ताओं को पुस्तकों तक त्वरित पहुँचने की सुविधा के लिए एवं आसान डिजिटल खोज का विकल्प प्रदान करता है।

इंटरनेट और ओपेक के साथ कंप्यूटर डेस्क

इस सुविधा का उपयोग पुस्तक खोज के लिए किया जा सकता है। यदि हमारे पुस्तकालय में कोई विशेष पुस्तक उपलब्ध नहीं है, तो पुस्तकालय में बैठकर ही इंटरनेट पर भी आप पुस्तक खोज सकते है।

सदस्यता

वर्तमान में, केवल पढ़ने की सदस्यता उपलब्ध है। व्यक्ति अल्प शुल्क देकर सदस्य बन सकते हैं। पुस्तकालय से पुस्तकें बाहर जारी नहीं की जा सकतीं।

अनुसंधान

एल.डी.आईआई पुस्तकालय इंडोलॉजी विषयों पर शोध के लिए एक प्रचलित स्थान है। हमारे पुस्तकालय एवं हस्तप्रत विभाग के अधिकारी विभागीय-संग्रह से अच्छी तरह वाकिफ हैं और आवश्यकतानुसार सहायता या सुविधा प्रदान करेंगे।

पुस्तकालय सदस्यता योजना

प्रदत्त सदस्यता
सदस्यता उधार लेने के विशेषाधिकारों के साथ संदर्भ उद्देश्यों के लिए है
1 पुस्तकालय पुस्तकें 30 दिनों के लिए
डिजिटल पांडुलिपि पहुंच
₹ 0 INR
सदस्यता के लिए आवेदन करें
केवल पठनार्थ सभ्यपद
वाचन सदस्यता बिना किसी उधार, संदर्भ उद्देश्यों के लिए विशेषाधिकार है
1 पुस्तकालय पुस्तकें 30 दिनों के लिए
डिजिटल पांडुलिपि पहुंच
₹ 10 INR
सदस्यता के लिए आवेदन करें
अधिदेय सदस्यता
सदस्यता उधार लेने के विशेषाधिकारों के साथ संदर्भ उद्देश्यों के लिए है
1 पुस्तकालय पुस्तकें 30 दिनों के लिए
डिजिटल पांडुलिपि पहुंच
₹ 0 INR
सदस्यता के लिए आवेदन करें

पुस्तकालय के आँकड़े @ नज़र

संस्थान में मुद्रित पुस्तकों का एक समृद्ध पुस्तकालय है। वर्तमान में, 60,000 से अधिक पुस्तकें उपयोग के लिए उपलब्ध हैं, उनमें से कई दुर्लभ हैं, यानी 100 साल से अधिक पहले मुद्रित और अब तक पुनर्मुद्रित नहीं हुई हैं ऐसी दुर्लभ पुस्तकों का भी संग्रह है।